हरियाणा का वर्ष 2022-23 का बजट अंत्योदय पर केंद्रित-सतत विकास लक्ष्य पर फोकस

हरियाणा का वर्ष 2022-23 का बजट अंत्योदय पर केंद्रित-सतत विकास लक्ष्य पर फोकस

ऋण अदायगियां पंद्रहवें वित्त आयोग द्वारा निर्धारित ऋण राज्य सकल घरेलू उत्पाद अनुपात 32.6 प्रतिशत की तुलना में वर्ष 2021-22 में 24.98 प्रतिशत अनुमानित

पूंजीगत व्यय 2022-23 के लिए 61,057.35 करोड़ प्रस्तावित

5327.56 करोड़ रुपये के पूंजी निवेश की संभावना

बजट में कोई नया कर नहीं लगाया गया

The Voice of Chandigarh News: हरियाणा विधान सभा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा प्रस्तुत किया गया वर्ष 2022-23 का 1,77,255.99 करोड़ रुपये का कर रहित बजट पिछले वर्ष के 1,53,384.40 करोड़ रुपये की तुलना में 15.6 प्रतिशत अधिक है। इस बार का बजट पूर्ण रूप से मुख्यमंत्री के अंत्योदय के मूलमंत्र पर केंद्रित है और इसमें इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को ऊपरी पायदान पर लाया जाए।

बजट में वित्त मंत्री के रूप में मुख्यमंत्री ने मित्तव्यवयता पर भी विशेष फोकस किया है।

मुख्यमंत्री ने किसी प्रकार के नए कर लगाने का जिक्र नहीं किया है जो दर्शाता है कि बजट पूरी तरह से संतुलित व समावेशी विकास का प्रतीक है।

उल्लेखनीय बात यह है कि राज्य के सभी वित्तीय मानदंड नियंत्रण में हैं। कुशल वित्तीय प्रबंधन से राजकोषीय घाटा नियंत्रण में है। बजट में मुख्यमंत्री ने वर्ष 2022-23 के लिए 61,057.35 करोड़ रुपये का पूंजीगत व्यय प्रस्तावित किया है जो वर्ष 2021-22 में 48265.49 करोड़ रुपये था इससे पूंजीगत हिस्सा 31.5 प्रतिशत से बढक़र 34.4 प्रतिशत होना अनुमानित है। इससे प्रदेश में आधारभूत संरचना के विस्तार को और मजबूती मिलेगी जो आगे अर्थव्यवस्था के लिए संजीवनी सिद्घ होगी। इसीप्रकार, कौशल विकास एवं स्वास्थ्य क्षेत्र में बजट में बड़ी वृद्घि की गई है। इससे प्रदेश में मानव संसाधन विकसित होगा और वह भी आर्थिक विकास को नई ऊंचाईयों पर ले जाएगा।

बजट में मुख्यमंत्री द्वारा राज्य सकल घरेलू उत्पाद को वर्ष 2022-23 के लिए 15वें वित्त आयोग सिफारिशों के अनुसार 3.5 प्रतिशत की सीमा को 2.98 प्रतिशत के भीतर रखा गया है। बजट में संयुक्त राष्ट्र द्वारा राज्यों के लिए वर्ष 2030 तक के लिए सतत विकास लक्ष्य का भी विशेष ख्याल रखते हुए मुख्यमंत्री ने सतत विकास से संबंधित योजनाओं के लिए 1,14,444.7 करोड़ रुपये आवंटित किए है जो शायद अब तक किसी भी राज्य ने अपने बजट में नहीं किया है। ऐसा कर वित्त मंत्री के रूप में मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने लगातार तीसरी बार अपने बेहतर वित्तीय प्रबंधन को भी दर्शाया है। राजकोषीय घाटे को वर्ष 2021-22 के लिए 15वें वित्त आयोग द्वारा अनुशासित सकल घरेलू उत्पाद दर 4 प्रतिशत की निर्धारित सीमा की बजाय मुख्यमंत्री ने इसे 3.4 प्रतिशत की सीमा के भीतर समेटे रखा। बजट में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की देश की अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन ले जाने के लक्ष्य को भी तव्वजो दी गई है। देश की अर्थव्यवस्था में हरियाणा का योगदान 3.4 प्रतिशत है मुख्यमंत्री ने इसे वर्ष 2022-23 में 4 प्रतिशत ले जाने का लक्ष्य रखा है।

इसीप्रकार, वर्ष 2022-23 में बजट में 5327.56 करोड़ रुपये के पूंजी निवेश की संभावना दर्शायी गई है और इसके साथ ही आगामी वित्त वर्ष के बजट अनुमानों में संचित पूंजी निवेश 66,384.91 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। इसीप्रकार, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की वित्तीय स्थिति मजबूत करने के लिए भी ठोस कदम उठाए गए हैं। पिछले पांच वर्षों में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों संचित लाभ मार्जन 562.88 करोड़ रुपये से बढक़र 1393.04 करोड़ रुपये हो गया है जो लगभग तीन गुणा अधिक है। इसके अलावा, सार्वजनिक बुनियादी ढ़ांचा और सुविधाएं प्रदान करने के लिए 2000 करोड़ रुपये की राशि का अलग से पहली बार प्रावधान किया गया है।

मुख्यमंत्री ने एक बेहतरीन वित्तीय प्रबंधक का परिचय देते हुए बजट में हरियाणा के विकास का वज्र मॉडल प्रस्तुत किया है जिसमें आर्थिक विकास और मानव विकास को बढ़ाने, ईज़ ऑफ लिविंग, गरीबों व वंचित वर्गों के  उत्थान और नई प्रौद्योगिकी को अपनाकर उत्पादकता बढ़ाने के साथ ही रोजगार व उद्यमिता को प्रोत्साहित किया है। इसके लिए बजट में मुखयमंत्री ने 5 शक्तियां प्रदान की हैं जो इस प्रकार हैं:- सूचना प्रोद्योगिकी का उपयोग कर संरचनात्मक सुधार के साथ ‘समर्थ हरियाणा’ का निर्माण, गरीब से गरीब व्यक्ति का उत्थान कर ‘अंत्योदय’ का लक्ष्य प्राप्त करना, संयुक्त राष्ट्र के वर्ष 2030 के निर्धारित ‘सतत विकास लक्ष्य’ को गति देना, ‘संतुलित पर्यावरण’-पर्यावरणीय स्थिरता पर जोर तथा सार्वजनिक व निजी भागदारी बढ़ाने के लिए ‘सहभागिता’ पर फोकस किया गया है।

बजट अनुमानों में मुख्यमंत्री ने प्रमुख आबंटन जिन विभागों के लिए किया है उनमें कृषि एवं सम्बद्घ सेवाओं के लिए  6,497.01 करोड़ रुपये जो गत वर्ष के संशोधित अनुमानों में 5,205.94 करोड़ रुपये था, शिक्षा, खेल, कला एवं संस्कृति के लिए 20,445.36 करोड़ रुपये है जो गत वर्ष 17,260.79 करोड़ रुपये था, तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं औद्योगिक प्रशिक्षण के लिए 1,104.68 करोड़ रुपये है जो गत वर्ष 895.85 करोड़ रुपये था, स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा व परिवार कल्याण, आयुष, ईएसआई, खाद्य एवं औषध के लिए 8,925.52 करोड़ रुपये है जो गत वर्ष 7,613.73 करोड़ रुपये था, गृह विभाग के लिए 6,526.29 करोड़ रुपये है जो गत वर्ष संशोधित अनुमानों में 6,057.37 करोड़ रुपये आबंटित किया गया था।

इसीप्रकार, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, महिला एवं बाल विकास तथा अनुसूचित जातियां एवं पिछड़े वर्ग कल्याण के लिए 13,050.02 करोड़ रुपये आबंटित किया गया है जो गत वर्ष संशोधित 10,863.15 करोड़ रुपये था, ग्रामीण विकास, विकास एवं पंचायत के लिए 6,826.13 करोड़ रुपये है जो गत वर्ष संशोधित 3,723.93 करोड़ रुपये था, परिवहन के लिए 3,708.20 करोड़ रुपये है जो गत वर्ष संशोधित 2,902.29 करोड़ रुपये था, शहरी विकास तथा ग्राम एवं नगर आयोजना विभाग के लिए 8468.83 करोड़ रुपये आबंटित किया गया है। इसके अलावा, उद्योग एवं वाणिज्य के लिए 598.20 करोड़ रुपये है जो गत वर्ष संशोधित 456.22 करोड़ रुपये था, सिंचाई एवं जल संसाधन के लिए 6,136.36 करोड़ रुपये है जो गत वर्ष संशोधित अनुमानों में 4,064.29 करोड़ रुपये था, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के लिए 4,554.39 करोड़ रुपये आबंटित किए हैं जो गत वर्ष के संशोधित अनुमानों में 3,899.11 करोड़ रुपये था तथा लोक निर्माण(भवन एवं सडक़ें) के लिए 4,752.02 करोड़ रुपये है जो गत वर्ष संशोधित अनुमानों में 4,199.07 करोड़ रुपये था।

मुख्यमंत्री ने बजट में राजकोषीय अपव्यय से बचने के लिए अलग से तीन नए समर्पित कोष स्थापित करने की बात कही है जो वित्त प्रबंधन के बजट मानक मानदंडों के लिए जरूरी है। इनमें हरित विकास उद्देश्यों के लिए जलवायु एवं सतत विकास कोष, वैज्ञानिक गतिविधि और छात्रवृति को बढ़ावा देने के लिए ‘अनुसंधान एवं नवाचार कोष तथा स्टार्ट-अप की सहायता के लिए ‘उद्यम पूंजी कोष’ की स्थापना करना शामिल है।

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